यह एक हाइब्रिड किस्म की तोरी का बीज है। इस किस्म के बीज से अच्छी गुणवत्ता वाली अधिक उपज प्राप्त होती है। इसके फल एक समान आकार के होते हैं। तकनीकी निर्देश: बुवाई का समय: फरवरी-मार्च, मई-जुलाई मिट्टी: बलुई दोमट मिट्टी पहली फसल: बुवाई के 50-55 दिन बाद प्रति एकड़ बीज की मात्रा: 2 किग्रा पंक्तियों / लकीरों के बीच बुवाई की दूरी: 3 मीटर पौधों के बीच बुवाई की दूरी: 75-90 सेमी बुवाई की गहराई: 2-3 सेमी विशेषता: फल का रंग: गहरा हरा फल का आकार: बेलनाकार फल की लंबाई: 22-24 सेमी फल की चौड़ाई: 3-3.5 सेमी फल का वजन: 120-150 ग्राम -इस किस्म की तोरी चमकदार एवं आकर्षक होती है। -इस किस्म की तोरी लंबी एवं पतली होती है। -यह एलसीवी रोग के प्रति सहनशील किस्म है। खेत की तैयारी कैसे करें: तोरी की खेती के लिए खेत की 2-3 बार जुताई कर खेत में पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें। जुताई के समय खेत में 84 क्विंटल गोबर की खाद प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। उर्वरक का सुझाव: 40 किग्रा नाइट्रोजन, 20 किग्रा फास्फोरस, 20 किग्रा पोटैशियम का प्रयोग करें। फास्फोरस और पोटोशियम की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा बुवाई के समय प्रयोग करें। नाइट्रोजन की बाकी बची हुई मात्रा को बुवाई के एक महीने बाद डालें। रोग एवं कीट नियंत्रण: -माहू (Aphid) और थ्रिप्स: इन कीटों से बचाव के लिए 5 ग्राम थाइमैथोक्सम को 15 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें। -खस्ता फफूंदी (Powdery mildew): इस रोग की रोकथाम के लिए 2 ग्राम एम-45 को 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
ਮੂਲ ਦੇਸ਼:
India
Quantity:
10 gram
ਬ੍ਰਾਂਡ:
GAPL
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